डुण्डा पुलिस ने पकड़ी प्रतिबंधित कांजल कांठ के 597 नग, वन विभाग पर उठे सवाल
राजेश रतूड़ी
उत्तरकाशी : एक और जहा डुण्डा पुलिस ने प्रतिबन्धित काजल-काठ की लकड़ी की तस्करी करते हुये एक चालक सहित 2 को पकड़ा है वहीं दूसरी और वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होने लाजमी है जो काम वन विभाग को करना चाहिए था वह पुलिस ने कर दिखाया है |
आपको बतादे डुण्डा पुलिस की टीम ने चौकी डुण्डा बैरियर पर गोपाल बोहरा पुत्र चन्द्र सिंह बोहरा निवासी ग्राम डोली, चोर थाना कंचनपुर, जिला कंचनपुर, महाकाली नेपाल, हॉल मोजांग, त्यूणी देहरादून, उम्र 39 वर्ष व विजय पुत्र प्रेमलाल निवासी नाल्ड, गंगोरी भटवाडी, उत्तरकाशी(वाहन चालक), उम्र 35 वर्ष के पास से भारी मात्रा में प्रतिबन्धित कांजल कांठ की लकडी पकडी है | चोकी प्रभारी डुण्डा प्रकाश राणा के साथ डुण्डा पुलिस टीम ने बुधवार प्रातः 6:30 बजे डुण्डा बैरियर पर चैकिंग के दौरान वाहन संख्या UK 10C 1427(यूटिलिटी) को चैक किया गया तो वाहन सवार गोपाल व विजय(चालक) द्वारा कांजल कांठ की प्रतिबन्धित लकडी की तस्करी की जा रही थी। पुलिस ने उपरोक्त से कांजल कांठ की लकडी के 597 नग पकड़े हैं पुछताछ से पता चला है कि गोपाल गंगोरी, अगोडा क्षेत्र के जंगलो से इस प्रतिबन्धित लकड़ी को इकट्ठा कर बेचने को देहरादून सहारनपुर ले जाने के फिराक में था, जिसे डुण्डा पुलिस ने पकड कर तस्कर के मंसूबों पर पानी फेर दिया है । पुलिस के द्वारा इस मामले में अग्रिम विधिक कार्रवाई करने को लेकर अभियुक्तों को प्रतिबन्धित लकड़ी के साथ वन विभाग के सुपुर्द कर दिया। है |
वन विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
जो काम वन विभाग के द्वारा किया जाना चाहिए था उसको डुंडा पुलिस ने किया है वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लाजिमी है जबकि गंगोरी और डुण्डा के बीच वन विभाग के दो चेक पोस्ट बने हैं आखिर तस्करो के द्वारा वन विभाग के आंखों में कैसे धूल झुकी गई या मामला कुछ और ही है यह तो जांच का विषय है फिलहाल वन विभाग की कार्य शैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं|
कांजल की लकड़ी उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्र में पाई जाती है। कांजल औषधीय दृष्टिकोण से सर्वोत्तम मानी जाती है। इसे बौद्घ सम्प्रदाय के लोग इसके बर्तन (बाउल) बनाकर खाद्य एवं पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत, चीन, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में इस लकड़ी की तस्करी कर उच्च कीमतों पर बेचा जाता है।
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