जिला अस्पताल उत्तरकाशी में दुर्लभ चिकित्सकीय स्थिति में सुरक्षित प्रसव कराने पर सीएमस्स .डा. प्रेम पोखरियाल ने की सराहना

राजेश रतूड़ी
 उत्तरकाशी ।  उत्तरकाशी जिला महिला चिकित्सालय को रेफर सेंटर समझने वालों को यह बता दें कि वर्तमान समय में महिला चिकित्सालय में दुर्लभ प्रसव  कराए जा रहे हैं । जिसका जीता जागता उदाहरण बुधवार सुबह एक अत्यंत दुर्लभ चिकित्सकीय स्थिति में गर्भवती महिला का सुरक्षित प्रसव कराकर चिकित्सकों और नर्सिंग अधिकारीयों ने चिकित्सा सेवा में सराहनीय सफलता हासिल की है तथा महिला चिकित्सालय को रेफर सेंटर कहने वालों के मुंह पर भी ताले लगवा दिए हैं यदि हमेशा सब कुछ ऐसा ही चला रहे निश्चित तौर पर उत्तरकाशी की जनता का भरोसा जिले के चिकित्सकों पर कायम होगा ।
 आपको बता दें कि ग्राम बधाँण, विकासखंड चिन्यालीसौड़ निवासी  अम्बिका देवी (उम्र 25 वर्ष), पत्नी  पारस रमोला, प्रसव पीड़ा की शिकायत के साथ सुबह जिला अस्पताल उत्तरकाशी में भर्ती हुईं थी। प्रारंभिक जांच के बाद, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शमा आफरीन ने अल्ट्रासाउंड जांच की, जिसमें पाया गया कि मरीज Diphylous Uterus से पीड़ित हैं, जिसमें गर्भाशय का सामान्य विकास न होकर वह दो भागों में विभाजित रहता है!

जांच के अनुसार, मरीज के गर्भाशय में right horn rudimentary horn मौजूद था। यह एक जन्मजात विसंगति है, जो विश्व की कुल जनसंख्या के केवल 0.3% से 5% मामलों में ही पाई जात है। इस स्थिति में गर्भधारण और प्रसव दोनों अत्यंत जोखिमपूर्ण होते हैं, तथा समय पर उपचार न होने पर मां और बच्चे दोनों के जीवन को खतरा हो सकता है।
       गर्भवती महिला 37 सप्ताह की गर्भावस्था में थीं। उनके पति श्री पारस रमोला ने जानकारी दी कि उनका पहला गर्भ गर्भपात में समाप्त हो गया था। ऐसे में यह गर्भ परिवार के लिए अत्यधिक महत्व रखता था और चिकित्सकीय दृष्टि से भी संवेदनशील था।
          स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, डॉ. शमा आफरीन ने मरीज और परिजनों को तत्काल (LSCS (Lower Segment Caesarean Section) अर्थात सीज़ेरियन ऑपरेशन की सलाह दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामान्य प्रसव का प्रयास गर्भाशय फटने, भारी रक्तस्राव और जानलेवा जटिलताओं का कारण बन सकता है।

 चिकित्सक ने  गर्भवती को तुरंत ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया गया। डॉ आस्था नेगी (निश्चेतक) , संगीता राय एवं  क्रिस्टिना नर्सिंग अधिकारी ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर डॉ. शमा आफरीन के नेतृत्व में किए गए ऑपरेशन में एक स्वस्थ शिशु का जन्म हुआ। ऑपरेशन के बाद मां और बच्चे दोनों की स्थिति पूरी तरह स्थिर है।



नवजात के जन्म पर परिवार भावुक हो उठा।  कहा: कि "हमारे लिए यह दिन कभी न भूलने वाला है। पहले बच्चे को खोने के बाद हम डरे हुए थे, लेकिन आज डॉ. शमा आफरीन और पूरी टीम ने हमारे जीवन में खुशियां लौटा दीं।"



डॉ. प्रेम सिंह पोखरियाल, प्रमुख अधीक्षक, जिला अस्पताल उत्तरकाशी बोले

> "Diphylous uterus जैसी दुर्लभ स्थिति में 37 सप्ताह तक गर्भावस्था को सुरक्षित रखना और फिर ऑपरेशन द्वारा स्वस्थ प्रसव कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।यह सफलता हमारी टीम की तत्परता, पेशेवर दक्षता और आपसी समन्वय का परिणाम है। अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों और प्रशिक्षित स्टाफ की बदौलत हम इस तरह की जटिल परिस्थितियों का सफल प्रबंधन कर पा रहे हैं।"



इस सफल ऑपरेशन में योगदान देने वाले मे अनीता चौहान (प्रभारी महिला अस्पताल), संगीता राय,  क्रिस्टिना नर्सिंग अधिकारी ने योगदान दिया! प्रसव उपरान्त उच्च-निर्भरता इकाई में कार्यरत  आरती, रमा चौहान,अंजलि, विमला, शोभा,पूजा, इशानी, प्रमिला,रीना श्वेता,ममता, प्रीती आदि नर्सिंग अधिकारीयों ने देखभाल की है!


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*📌 मुख्य तथ्य एक नज़र में:*

मरीज: श्रीमती अम्बिका देवी, 25 वर्ष

निवास: ग्राम बधाँण, चिन्यालीसौड़

स्थिति: Diphylous uterus with right rudimentary horn

गर्भावस्था अवधि: 37 सप्ताह

इतिहास: पहला गर्भ गर्भपात में समाप्त

उपचार: तत्काल LSCS ऑपरेशन

परिणाम: स्वस्थ पुत्र का जन्म, जच्चा-बच्चा सुरक्षित!

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