भागवत ही मनुषयो की मुक्ति का द्वार : आयुष मधुर

राजेश रतूड़ी
टिहरी : टिहरी जिले के ज्ञानसू गाँव मे इन दिनों आयुष मधुर "भास्कर प्रयाग " वाले के द्वारा श्रीमद भागस्त महापुराण का व्याख्यान चल रहा है जिसमे उनके द्वारा भगवान श्रीकृष्ण कीजीवन और लीलाओं से जुड़ी सभी कथाओं को विस्तार पूर्वक सुनाया जा रहा है। 
            कथा के तीसरे दिन आयुष मधुर ने भागवत कथा का महत्व और भागवत कथा अनुष्ठान करने व कथा श्रवण से मनुष्य को किन किन फ्लो और पुण्यों की प्राप्ति होती है विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति निरन्तर पाप कर्म करता है उसकी मुक्ति भागवत सुनने से ही होती है। जिसका उदाहरण देकर विद्धवान आत्मदेव की कथा को सुनाकर दिया। उन्होंने बताया कि सन्तो और ब्राह्मणों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान भी ब्राह्मणों  के हित और गौरक्षा के लिए बार बार अवतार लेते है। इसलिए सभी को भागवत कथा का श्रवण और अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए।
           आयुष मधुर "भास्कर प्रयाग" वाले से कथा करने की प्रेरणा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मुझे बाल्य काल से ही अपने दादाजी ब्रम्हऋषि जगदीश नौटियाल शास्त्री से मिली है। उन्होंने मुझे बचपन से ही विभिन्न पुराणों की कथा एवं कथा करने के गूढ़ रहस्यों की जानकारी दी है जिनके पद चिन्हों पर में आगे चलता रहूंगा।र प्रयाग " वाले के द्वारा श्रीमद भागस्त महापुराण का व्याख्यान चल रहा है जिसमे उनके द्वारा भगवान श्रीकृष्ण कीजीवन और लीलाओं से जुड़ी सभी कथाओं को विस्तार पूर्वक सुनाया जा रहा है। 
            कथा के तीसरे दिन आयुष माथुर ने भागवत कथा का महत्व और भागवत कथा अनुष्ठान करने व कथा श्रवण से मनुष्य को किन किन फ्लो और पुण्यों की प्राप्ति होती है विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति निरन्तर पाप कर्म करता है उसकी मुक्ति भागवत सुनने से ही होती है। जिसका उदाहरण देकर विद्धवान आत्मदेव की कथा को सुनाकर दिया। उन्होंने बताया कि सन्तो और ब्राह्मणों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान भी ब्राह्मणों  के हित और गौरक्षा के लिए बार बार अवतार लेते है। इसलिए सभी को भागवत कथा का श्रवण और अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए।
           आयुष माथुर "भास्कर प्रयाग" वाले से कथा करने की प्रेरणा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मुझे बाल्य काल से ही अपने दादाजी ब्रम्हऋषि जगदीश नौटियाल शास्त्री से मिली है। उन्होंने मुझे बचपन से ही विभिन्न पुराणों की कथा एवं कथा करने के गूढ़ रहस्यों की जानकारी दी है जिनके पद चिन्हों पर में आगे चलता रहूंगा।

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