विकास के दावों की पोल खोलती सालू गांव के लोगो की हकीकत , वर्षों से अंधरे में जीने को मजबूर है सालू गांव के ग्रामीण

उत्तरकाशी


भले ही सरकार उत्तराखंड के हर गांव को विजली और पानी पहुचाने का दावा कर रही हो किन्तु धरातल पर हकीकत इससे कुछ उलट ही नजर आता है सालू गांव के 20-25 परिवार आज 20वी शताव्दी में भी, आज भी 16वी और 17वी शताव्दी की तरह बिना बिजली के जीने को मजबूर हैं।


विधित हो विकासखण्ड भटवाड़ी का सालू गांव में वर्ष 1986 से गांव में भू-धसाव हो रहा था लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2007 में किसी तरह यहां के लोगो का पुनर्वास खणी नाम तोक में हुआ था सालू गांव के लोग गांव में लंबे समय से शासन प्रशासन से विजली पंहुचाने की मांग कर रहे थे किंतु सालू गांव में कुछ महीने पहले ही बिजली सुचारू हुई और  गांव के भू-धसाव से विस्थापित 20-25 परिवार आज भी बिना बिजली के 16वी और17वी शताव्दी में जीने को मजबूर है गांव की प्रधान गीता देवी और क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रभाकर जोशी ने बताया कि वर्ष 2007 से कईबार गांव के ग्रामीणों द्वारा शासन के बड़े नेताओं और जिला प्रशासन को गांव की समस्या से अवगत करा चुके हैं किन्तु नतीजा सिफर ही निकला है जन प्रतिनिधियों का कहना है कि जब कई बार शासन प्रशासन को गांव की समस्या से अवगत कराने पर कोई हल नही हुआ तो अब ग्रामीणों ने आधुनिक डिजिटल भारत मे भी अंधेरे में जीना सीख लिया है। और सही मायने में  गांव गांव में विकास दावों की कलई खोलती सालू गांव के लोगो की हकीकत।   


 


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