आखिर जिला प्रशासन को क्यो है गुरेज कलक्ट्रेट परिसर में मीडिया कर्मियों के आने से, उप जिलाधिकारी के आदेश के नाम पर मीडिया कर्मियी से बदतमीजी

उत्तरकाशी



कोविड- 19 को लेकर जिला प्रशासन को क्या यह लगता है कि मीडिया कर्मी सतर्क नही है जबकि महामारी शुरू होते ही मीडिया कर्मियों ने फ्रंट लाइन कोरोना वारियर की भूमिका अदा की है भले ही किसी भी मीडिया कर्मियों को जिला प्रशासन ने कोरोना योद्धा का पुरस्कार न दिया हो। परन्तु जिले की कोविड-19 से जुड़ी हर छोटी बड़ी घटना की कवरेज अपनी जान जोखिम में डालकर बखूबी कर रहे है  इसके बावजूद भी जिला प्रशासन को मीडिया कर्मियों का कलक्ट्रेट परिसर में आने से क्या गुरेज है? यह कोई पहला वाकया नही है कि उत्तरकाशी कलक्ट्रेट परिसर में अन्दर आने को लेकर किसी मीडिया कर्मी से विबाद हुआ हो। उप जिलाधिकारी के आदेश के नाम पर तैनात होम गार्ड के जवान की बदतमीजी ताजा वाकया है इसकी शिकायत जब मीडिया कर्मियों ने डीएम के पीए एस0 एच0 बरमोडा से की तो उनके पहलीबार बुलाने पर भी यह नही आया दुबारा बुलाने पर आया भी तो ऊची आवाज में उप जिलाधिकारी के आदेश का हवाला देकर चला गया कलक्ट्रेट परिसर में तैनात सिपाही कितने निरंकुश है जबकि इनके द्वारा अपने चहेतों के लिए दूसरा गेट खुला रखा गया। इस खुले गेट से चहेतों की निर्बाध आवाजाही कलक्ट्रेट में करवाई जा रही है। शायद इनसे प्रशासन को कोरोना का ख़तरा नही है।



प्रशासन और पत्रकारों में समन्वय बनाने का कार्य जिले का सूचना विभाग करता है जिसके चलते पत्रकारों की आवाजाही सूचना  विभाग में लगी रहती है परंतु पत्रकारों को भी इन निरंकुश सिपाहियों से आये दिन दो चार होना पड़ता है।


 


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